बिहार : सच साबित हुई बिहार के 'नल-जल योजना' में धांधली की बात, 373 मुखिया पर FIR, अधिकारी व ठेकेदार नपे
बिहार में नल जल योजना का काम तेजी से चल रहा है. वहीं इसमें कई जगहों से अनियमितताएं उजागर हुई हैं. जिसपर सरकार गंभीर है. प्रदेश के 373 मुखिया पर काम में गड़बड़ी करने के कारण FIR दर्ज किया गया है. वहीं 45 ठेकेदारों, 62 सुपरवाईजर, 32 पंचायत सचिव भी नपे हैं. इन सबों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसका खुलासा आरटीआई( RTI)से हुआ है.
अब दोषी मुखिया पर एक्शन लेने की भी तैयारी शुरू होगी. वहीं प्रोजेक्ट में लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई शुरू हो गई है. 13 प्रखंड विकास पदाधिकारियों व 10 पंचायत राज पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है. जिसकी जांच जिलाधिकारी करेंगे.सरकार ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों को आदेश दिया है कि वो इस प्रोजेक्ट के काम में पारदर्शिता लाएं और निगरानी बढ़ाएं. एक आरटीआई में हुए खुलासे के अनुसार, अधिकतर मुखिया पर कमीशनखोरी, प्रोजेक्ट पूरा करने में लेटलतीफी, व काम की गुणवत्ता खराब करने जैसे आरोप हैं.
गौरतलब है कि बिहार में हर घर में पानी पहुंचाना मुख्यमंत्री का संकल्प रहा है. जिसकी तारीफ यूनीसेफ ने भी की है. हाल में संपन्न हुए विधानसभा में एक तरफ जहां सीएम अपने इस प्रोजेक्ट को चुनाव प्रचार का बड़ा जरिया बनाए हुए थे वहीं विपक्ष हर जल घर का नल योजना में हो रही गड़बड़ी व धांधली को अपना हथियार बनाकर सरकार को घेर रही थी.
इन जिलों में मुखिया पर कार्रवाई
पटना में 12, औरंगाबाद में 9, जहानाबाद में 19, नालंदा में 6, गया में 17, मुजफ्फरपुर में 16, भागलपुर में 13, दरभंगा में 13, मधुबनी में 22, सहरसा में 16, बांका में 17, रोहतास में 15, पूर्वी चंपारण में 12, पश्चिम चंपारण में 9, सिवान में 9, सारण में 5, मुंगेर में 19, समस्तीपुर में 13, सुपौल में 11, मधेपुरा में 17, पूर्णिया में 9, अररिया में 12, भोजपुर में 8, गोपालगंज में 12, शेखपुरा में 8, किशनगंज में 18, कटिहार में 14, बक्सर में 13, वैशाली में 17 और सीतामढ़ी में 12।
जांच में पकड़ी गई ये गड़बडि़यां
* घटिया वाटर टंकी से पानी का रिसाव और टंकी का गिरना
* पाइपलाइन बिछाने में मनमानी
* 3 फीट के बजाय 1.25 फीट नीचे पाइप बिछाना
* खराब पाइप से काम की गुणवत्ता प्रभावित
* पसंद के वार्ड और संवेदक को राशि का आवंटन
* एडवांस में कमीशनखोरी और काम में लेटलतीफी
* प्रशासनिक स्तर पर निगरानी का अभाव
* संवेदक से प्रखंड स्तर से अफसरों की सांठगांठ
Mere yaha bhi aaisha hai
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