BIHAR-SAMASTIPUR-कारगिल युद्ध के दौरान महज 21 YEAR की आयु में लेफ्टिनेंट amit singh ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। kashmir के कुपवाड़ा जिले में ढाई महीने तक मोर्चा संभालने वाला यह जांबाज लेफ्टिनेंट 3 DECEMBER 2000 को वीरगति को प्राप्त हुआ।
इनकी बहादुरी को देखते हुए तत्कालीन रक्षा मंत्री George fernandes ने कहा था कि मातृभूमि की रक्षा करने वाले शहीदों की सूची में amit सबसे युवा jawan था।
Amit ने वर्ष 2000 में indian military academy से passout होने के बाद 3 जून 2000 को गोरखा राइफल में अपना योगदान दिया था। जुलाई माह में उनकी Deuty kashmir में लगी थी।
जिले के पूसा प्रखंड स्थित महमद्दा गांव निवासी Dr H.P. singh के इकलौते पुत्र लेफ्टिनेंट Amit singh यदि चाहते तो उन्हें कृषि सहित अन्य क्षेत्रों में भी उच्च पद पर आसीन हो सकते थे। लेकिन बचपन से ही अपनी मातृभूमि के प्रति इनके सीने में लौ जलती रही।
उनके देश प्रेम को जिदा रखने में सहायक बनते रहे इनके पिता Dr Rajendra prasad Central agriculture university
के पूर्व कुलपति dr.hp singh एवं mother vimla singh . इकलौते पुत्र amit की याद में august 2000 year में amit singh memorial foundation की स्थापना स्वजनों ने की।
इस संस्थान का उद्देश्य देश में शिक्षा एवं social उत्थान व आर्थिक संपन्नता को प्राप्त करना था। इस संस्थान के तहत देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्वदेश प्रेम जागृति संगोष्ठी का भी प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है।
संस्थान देश के गरीबों के बीच राष्ट्र प्रेम जागरूकता, सामाजिक दायित्व, आत्मसम्मान की भावना बढ़ाने पर भी कार्य करता है। गरीब बच्चों की प्राथमिकता एवं उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक आर्थिक सहायता देकर foundation के द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है। शहीद की याद में उनके गांव महमदा में एक प्रवेश द्वार बनाया गया है।