BIHAR-SAHARSA-वैश्विक महामारी कोरोना संकट के बीच गर्भवती महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की शुरूआत फिर से कर दी गयी। इस अभियान के तहत जिले के गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व जांच किया गया। महिलाओं की जांच के दौरान शारीरिक दूरी का पालन किया गया और सदर अस्पताल परिसर में इसके लिए ख़ास व्यवस्था की गयी.समुचित पोषण द्वारा संभव है एनीमिया प्रबंधन: सिविल सर्जन डॉ. अवधेश कुमार ने बताया प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जाँच की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें बेहतर परामर्श देना है। कोरोना संकट के चलते यह अभियान स्थगित रखा गया था लेकिन अब इसे दुबारा शुरू करने के निर्देश प्राप्त हुए हैं. बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को होने से बचाता है। इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को जाँच के बाद पोषण के बारे में भी जानकारी दी जाती है। उन्होंने बताया इस अभियान की सहायता से प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल जाता है जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलता में काफी कमी भी आती है और इससे होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है।
प्रसवोत्तर अत्यधिक रक्त स्त्राव से महिला की जान जाने का खतरा : सिविल सर्जन डॉक्टर अवधेश कुमार ने बताया प्रसवोत्तर अत्यधिक रक्त स्त्राव से महिला की जान जाने का खतरा सबसे अधिक होता है.प्रसव पूर्व जाँच में यदि खून 7 ग्राम से कम पाया जाता है तब ऐसी महिलाओं को आयरन की गोली के साथ पोषक पदार्थों के सेवन के विषय में सलाह भी दी जाती है.गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप,मधुमेह,अत्यधिक या कम वजन एवं अत्यधिक खून की कमी प्रसव संबंधित जटिलता को बढ़ा सकता है.इस दिशा में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना प्रभावी रूप से सुदूर गाँवों में रहने वाली महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है एवं इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी अंकुश लागने में सफ़लता मिल रही है.
गर्भावस्था में ये पांच टेस्ट कराना जरूरी:- सिविल सर्जन
•ब्लड टेस्ट•यूरिन टेस्ट•ब्लड प्रेशर•हीमोग्लोबीन•अल्ट्रासाउंड
सुरक्षित प्रसव में हुई है बढ़ोतरी :प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जाँच की सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास में काफी सफलता मिली है.स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता के साथ अभियान को सफल बनाने में आशाओं की भूमिका भी सराहनीय है.आशाएं सामुदायिक स्तर पर उच्च जोख़िम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान कर उसे प्रत्येक महीने की 9 वीं तारीख को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ रेफेरल इकाईयों पर प्रसव पूर्व जाँच के लिए ससमय संदर्भित करती हैं एवं खुद भी उपस्थित होती हैं. इस अभियान के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं को बेहतर प्रसव पूर्व जाँच की सुविधा प्रदान करने एवं सुरक्षित प्रसव को सुनश्चितकरने के लिए उच्च रक्तचाप,वजन की माप,गर्भावस्था के दौरान मधुमेह,यूरिनएल्ब्यूमिन,हीमोग्लोबिन(एनीमिया)एवं ब्लड ग्रुप की जाँच के द्वारा उच्च जोख़िम वाले गर्भवती महिलाओं की पहचान कर उन्हें समुचित ईलाज उपलब्ध कराया जाता है. इससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं में कमी आती है.