SAHARSA : सदर अस्पताल में टॉर्च के रोशनी में सांप कटे बच्चे का किया जा रहा था ईलाज, 45 मिनट तक कटी रही बिजली, नहीं था जनरेटर में डीजल
SAHARSA : सहरसा स्थित सदर अस्पताल का हाल इन दिनों बेहाल है। जहां आने वाले रोगी और मरीजों की जान के साथ लगातार खिलवाड़ किया जाता है। मंगलवार की शाम अचानक सदर अस्पताल के सभी वार्डों की बिजली कट गई। लगभग 45 मिनट तक बिजली गुल रही। इस दौरान सदर अस्पताल में संचालित जरनेटर भी खामोश रहा। जिसके कारण इमरजेंसी वार्ड में पाइप के सहारे आपूर्ति हो रहे ऑक्सीजन बंद हो गया।
इन 45 मिनट के दौरान सदर अस्पताल में दमा रोग से पीड़ित 7 मरीजों की सांसें अटक गई। वही सांप काटे 10 माह के बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए सदर अस्पताल में नियुक्त चिकित्सक डॉ० जमाल हाथ पैर चलाते रहे। वे सदर अस्पताल के कर्मियों को डांट-डपट लगाते रहे। आखिरकार लगभग 45 मिनट बाद जनरेटर में डीजल डाला गया और जरनेटर चली। जिसके बाद इमरजेंसी में लगे ऑक्सीजन के पाइप से ऑक्सीजन की आपूर्ति होने लगी। दमा रोग से ग्रसित सभी सातों मरीज की जान में जान आई। साथ ही बच्चे को भी ऑक्सीजन मिलते ही उंसकी टूटती सांसे फिर से व्यवस्थित हो गई। हालांकि चिकित्सक ने बच्चे की हालात को अभी भी काफी गंभीर बताया है।
बिजली कटते ही रुक गई ऑक्सीजन की सप्लाई
बता दें कि सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के सभी बेडों तक पाइप लाइन से ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है। उक्त ऑक्सीजन बिजली के द्वारा ही निर्मित होती है और पाइप के सहारे मरीजों तक पहुंचाई जाती है। ऐसे में बिजली कटने के साथ ही ऑक्सीजन की आपूर्ति पूरी तरह बंद हो गई। सदर अस्पताल में भर्ती दमा रोग से पीड़ित 7 मरीजों की जान अटक गई। साथ ही पूरे अस्पताल परिसर में अंधेरा फैल गया। मरीजों एवं उनके परिजनों के हाथों में हाथ से झेलने वाले पंखे दिखाई पड़ने लगे। सभी पसीने से लथपथ थे।
जरनेटर में नहीं थी डीजल
बता दें कि बिजली कटने के बाद जनरेटर की सुविधा दी गई है। जिसके लाखों रुपए के बिल का भुगतान होता रहा है। लेकिन जनरेटर में डीजल नहीं थी। ऐसे में आनन-फानन में कर्मी डीजल लाने के लिए पेट्रोल पंप की ओर भागे। जिसे डीजल लेकर वापस लौटने में लगभग 45 मिनट का वक्त जाया हुआ। इस दौरान मरीज की सांस अटकी रही।
इसी दौरान जिले के महिषी प्रखंड क्षेत्र के आरापट्टी गांव निवासी रंजीत साह के पुत्र अंकित कुमार सांप काटने से पीड़ित होकर सदर अस्पताल में भर्ती हुए। जिनका ऑक्सीजन लेवल 30% पर था। लेकिन बिजली नहीं रहने से उन्हें तुरंत ऑक्सीजन नहीं दी जा सकी। चिकित्सक के डांट डपट के बाद सदर अस्पताल कर्मी स्टोर पहुंचे। जहां से ऑक्सीजन की सिलेंडर लाई गई। ऑक्सीजन सिलेंडर को तैयार किया गया। इस दौरान भी काफी वक्त जाया हुआ। जिसके बाद बच्चे को सिलेंडर के ऑक्सीजन लगा दी गई।
क्या कहते हैं चिकित्सक
सदर अस्पताल में नियुक्त चिकित्सक डॉ० मो० जमाल ने बताया कि 2 घंटे पूर्व बच्चे को सांप ने काटा है। ऑक्सीजन लेवल 30% पर रुका हुआ है। पल्स रेट 160-170 आ रहा है। हमारे कंट्रोल में स्थिति नहीं है। फिर भी बच्चे के जान बचाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने आगे बताया कि आधे घंटे से बिजली कटी हुई है। टॉर्च की रोशनी में कोशिश की जा रही है कि बच्चे का इलाज किसी तरह किया जाए, उसकी जान बचाई जाए। ऑक्सीजन बंद है। अभी बच्चे को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है। स्टोर में रखे गए ऑक्सीजन सिलेंडर को मंगवाया जा रहा है। बच्चे की जान बचाने का अथक प्रयास किया जा रहा है।
क्या कहते हैं मरीज
अंकित के परिजन ने बताया कि काफी परेशान हूं। बच्चे को ऑक्सीजन की जरूरत है। लेकिन बिजली नहीं है। जिसके कारण ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है।
क्या कहते दमा से पीड़ित मरीज
वहीं सदर अस्पताल में दमा से पीड़ित पतरघट प्रखंड के कांप गोलमा निवासी लक्ष्मण यादव, बिहरा थाना क्षेत्र के बिहरा गांव निवासी सूरज किशोर प्रसाद साह, सपटियाही से पहुंचे मैमूल खातून, नवहट्टा थाना क्षेत्र के मुरादपुर गांव से पहुंचे कारी दास समेत अन्य दमा से पीड़ित मरीजों ने बताया कि लगभग 45 मिनट से बिजली कटी हुई है। ऑक्सीजन की सप्लाई बंद है, दमा से वे लोग पीड़ित हैं। लग रहा है कि सांस अटक गई है, जान निकल जाएगी। सांस नहीं ले पा रहे हैं, सदर अस्पताल नर्क है। ऐसे में आगे देखना दिलचस्प होगा कि इसके लिए जो भी दोषी है उसके विरुद्ध अस्पताल प्रशासन की ओर से क्या ठोस कार्यवाही की जाती है।
रिपोर्ट - रितेश हन्नी @ सहरसा
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