इन लोगों में से एक ने फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अपनों को खोने का गम तो बहुत बड़ा है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती लेकिन संतोष इस बात का है कि दोषियों को उनकी करनी की सजा मिल गई।
एक अन्य ने कहा कि पांच साल की कानूनी लड़ाई के बाद अब जाकर न्याय मिला है। उन्होंने शिकायत की कि सरकार ने घटना के वक्त मुआवजे को जो ऐलान किया था उसकी राशि आज तक नहीं मिली। इस कांड के बाद बिहार सरकार ने मृतकों के आश्रितों को चार-चार लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की थी लेकिन घटना में मारे गए माझा प्रखंड के चार लोगों में से किसी के परिवार को मुआवजे की राशि नहीं मिली।
घटना वाले दिन को याद करते हुए पीड़ित परिवार के एक सदस्य ने बताया कि 15 अगस्त 2016 को मांझा प्रखंड के पिपरा गांव के उमेश राम, मुन्ना मियां और अगल बगल के दो अन्य लोग किसी काम से गोपालगंज शहर गए थे। काम खत्म करने के बाद शाम को इन चारों लोगों ने खजुरबानी मोहल्ले में जाकर शराब पी।
शराब पीने के कुछ समय बाद ही उनकी हालत बिगड़ गई। चारों किसी तरह अपने घर पहुंचे लेकिन वहां भी उनकी हालत लगातार खराब होती चली। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर परिवारवाले उन्हें लेकर सदर अस्पताल के लिए निकले लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही चारों लोगों की मौत हो गई।
तबसे परिवार इंसाफ का इंतजार कर रहे थे। शुक्रवार को मामले पर फैसला आने के बाद यह इंतजार पूरा हुआ। नौ दोषियों को फांसी और चार को आजीवन कारावास की सजा का फैसला सुनते ही परिवार वालों की आंखें छलक गईं।
गोपालगंज जहरीली शराब कांड में मारे गए लोगों के परिवारीजनों के दिन मुश्किलों में कट रहे हैं। घटना में मारे गए पिपरा गांव के उमेश की पत्नी रेशमी ने मीडियाकर्मियों को बताया कि पति की मौत के बाद से ही परिवार चलाना बड़ा मुश्किल हो रहा है।
पूरे परिवार को भयानक आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। रेशमी की दो बेटियों की अभी तक तक शादी नहीं हो सकी है। पिपरा गांव के ही मुन्ना मियां की मां तलबुन निशा की आंखें फैसला सुनकर भर आईं। उन्होंने कहा कि बेटे को खोने का दर्द हमेशा रहेगा लेकिन इस बात का संतोष है कि उसके गुनहगारों को सजा मिल गई है।
चर्चित खजूरबानी शराबकांड में गोपालगंज के एडीजे-2 की अदालत ने शुक्रवार को नौ दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। 26 फरवरी को इस मामले में अदालत ने 13 लोगों को दोषी करार दिया था। इनमें से 11 अभी जेल में हैं। फरार चल रहे 2 दोषियों की गिरफ्तारी के लिए नए सिरे से वारंट जारी किए गए हैं।
16 अगस्त, 2016 को कच्ची शराब पीने से 19 लोगों की मौत हुई थी। जबकि छह लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। इन लोगों ने नगर थाने से महज दो किलोमीटर दूर खजूरबानी में शराब पी थी।
वहीं बड़े पैमाने पर देसी शराब बनाई जा रही थी। पुलिस पर इसकी जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई न करने का आरोप लगा था। घटना के बाद थाने के सभी पुलिसकर्मियों को पहले सस्पेंड, बाद में बर्खास्त कर दिया गया था।
हालांकि इस साल 14 जनवरी को हाईकोर्ट ने इनमें से एक सब इंस्पेक्टर समेत 5 पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट के इस आदेश से बाकी 16 पुलिसवालों की बर्खास्तगी का आदेश भी निरस्त हो गया था।