CAA विरोधी जनतांत्रिक आवाजों पर दमन के ख़िलाफ़ SAMASTIPUR AISA ऐपवा-एक्टू का सब याद रखा जाएगा प्रदर्शन
BIHAR SAMASTIPUR ZILA-कोरोना संकट के दौरान भी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ ANDOLAN चला रहे कार्यकर्ताओं की ARESET के खिलाफ बुधवार को AISA - ऐपवा-एक्टू- इनौस के संयुक्त बैनर तले शहर के विवेक- विहार मुहल्ला में देशव्यापी अभियान सब याद रखा जाएगा के तहत विरोध प्रदर्शन किया गया. इस दौरान कार्यकर्ता अपने-अपने हाथों में नारे लिखे तख्तियां,झंडे, बैनर लेकर जोरदार नारेबाजी भी कर रहे थे. मौके पर आयोजित सभा की अध्यक्षता आइसा जिला सचिव सुनील कुमार ने किया. मो० सगीर, मनोज शर्मा, द्रख्शा जबीं, बंदना सिंह, नीलम देवी, स्तुति, मनोज सिंह, रविशंकर कुमार भारती आदि ने सभा को संबोधित किया.
बतौर अतिथि सभा को संबोधित करते हुए AISA - इनौस जिला प्रभारी सह BHAKPA माले नेता SURENDRA PRASHAD SINGH ने कहा कि पिछले दो महीनों में दिल्ली पुलिस ने जामिया के छात्र सफूरा जरगर, मीरान हैदर, आसिफ इकबाल तन्हा, जेएनयू की छात्राएं नताशा नरवाल और देवांगना कलिता व इशरत जहां, खालिद सैफ़ी, गुलफिषा फातिमा, शर्जील इमाम,शिफाउर रहमान जैसे कार्यकर्त्ता और अन्य सैकड़ों युवाओं को गिरफ्तार कर लिया गया है. इनमें से कुछ पर संशोधित यूएपीए के तहत कार्यवाही चलाई जा रही है. यह दमन पिछले साल दिसंबर में देश भर में सीएए-एनआरसी के खिलाफ उभरे व्यापक विरोध प्रदर्शनों को दंडित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है. हाल ही में एएमयू के छात्र फरहान जुबैरी और रवीश अली खान को यूपी पुलिस ने सीएए के विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए गिरफ्तार किया है. यह स्पष्ट है कि अभी गिरफ्तारियों का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है और इस लंबी सूची में अन्य कई लोकतांत्रिक कार्यकर्ताओं के नाम जोड़े जाने की संभावना है. इस बीच शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ खुलेआम हिंसा भड़काने वाले कपिल मिश्रा, परवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर जैसे लोग बिना किसी कार्यवाही निर्भीक घूम रहे हैं.
यह स्पष्ट है कि सत्तारूढ़ ताकतें, किसी भी सामाजिक आंदोलनों के साथ बातचीत करने से इनकार करते हुए, सभी प्रतिवाद की आवाज़ों को बर्बर राज्य दमन और काले कानूनों के उपयोग से चुप करना चाहती है. इससे पहले, सरकार ने भीमा कोरेगांव मामले के बहाने कई लोकतांत्रिक-अधिकार कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को अपनी गिरफ्त में लिया है और उनके खिलाफ कार्यवाही चला रही है. इसी तरह असम में सीएए-विरोधी कार्यकर्ता अखिल गोगोई को यूएपीए के तहत आरोपित किया गया है, और बिट्टू सोनोवाल, मानस कुंअर, धज्जो कुंअर और कई अन्य आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर प्रताड़ित किया जा रहा है. ऐसे समय में जब सरकार की ऊर्जा और संसाधन हज़ारों लोगों की जानें लेने वाले और लाखों आजीविकाओं को नष्ट करने वाले विशाल स्वास्थ्य संकट और विनाशकारी पैमाने की आर्थिक मंदी से लड़ने में लगाई जानी चाहिए, तब सरकार द्वारा अपने सारे प्रयास प्रतिवाद की आवाजों को दबाने और छात्रों और जनतांत्रिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने में लगाना राज्यसत्ता के गलत इस्तेमाल का शर्मनाक प्रदर्शन है.
मुसलमानों, दलितों, आदिवासियों, श्रमिकों, महिलाओं और सभी हाशिए के समुदायों की नागरिकता पर हमले के खिलाफ लोकतांत्रिक संघर्ष में भाग लेने वाले सीएए-विरोधी कार्यकर्ताओं पर चलाया जा रहा हमला पूरे सीए-एनआरसी-एनपीआर आंदोलन को ध्वस्त करने का व्यवस्थित प्रयास है. यह सरकार की सांप्रदायिक और जनविरोधी नीतियों की मिसाल है, जो अपने नागरिकों के लिए उपलब्ध सभी संवैधानिक सुरक्षाओं को ख़तम करने में लगी हुई है। ऐसे दमन के ज़रिए यह सरकार प्रतिवाद करने वालों का उदाहरण बना कर दूसरों को भी चुप कराना चाहती है.आज श्रम कानून ध्वस्त किए जा रहे हैं, शैक्षणिक संस्थान दुर्गम बन रहे हैं, बेरोज़गारी समाज में अभूतपूर्व स्तर तक पहुँच रही है और श्रमिकों, अल्पसंख्यक और हाशिए पर रहने वाले समुदायों, महिलाओं और छात्रों के खिलाफ हिंसा लगातार बढ़ रही है. ऐसे में इस देश के लोगों को इस दमनकारी शासन को एक आवाज़ में चुनौती देनी होगी.सभा के अध्यक्ष सुनील कुमार ने बताया कि शहर के धरमपुर, मोहनपुर, जितवारपुर, काशीपुर, चीनी मील चौक समेत दर्जनों स्थानों पर आइसा, ऐसा, इनौस, एक्टू, भाकपा माले आदि के नेतृत्व में समर्थकों द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया.