2020/11/30

कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था की डुबकी: गंगा घाटों पर मेले-सा नजारा, अहले सुबह से ही स्नान के लिए उमड़ पड़े श्रद्धालु

BIHAR-कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए गंगा घाटों पर अहले सुबह से ही श्रद्धालु उमड़ पड़े हैं। पटना के गंगा घाटों पर मेले-सा नजारा है। कार्तिक पूर्णिमा को लेकर गंगा घाट की ओर जाने वाली कई मुख्य सड़कों पर बैरिकेडिंग कर दी गई है। यातायात के लिए वैकल्पिक रास्ते तय किए गए हैं। पुलिस के जवानों को भी लगाया गया है।

कार्तिक मास की पूर्णिमा स्नान और दान के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है। आज के दिन 9 रेखा सावा, रोहिणी नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि व वर्धमान योग का संयोग भी बन रहा है। इससे आज के दिन खरीदारी और मांगलिक कार्य भी शुभ होते हैं। रेखीय सावा होने से शादियों भी अधिक होंगी। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत रविवार दोपहर 12:48 से प्रारंभ होकर सोमवार दोपहर 3 बजे तक रहेगी।

गंदे पानी में डुबकी लगाने की मजबूरी

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आस्था के कारण लोग गंदे पानी में भी डुबकी लगाने को मजबूर हैं। यह तस्वीर भागलपुर के बरारी पुल घाट की है। यहां स्नान करने आई प्रीति कुमारी का कहना है कि आस्था है तो नहाना ही है, लेकिन नहाने के लिए यह जल उपयुक्त नहीं है।

 वहीं राजेन्द्र मिश्र का कहना है कि गंगाजल हमेशा शुद्ध ही होता है, लेकिन दिखने में यह गंदा जरूर लगता है। इसे देखकर नहाना ठीक नहीं लग रहा है, लेकिन क्या करें आस्था है तो स्नान करना पड़ रहा है। इसके बारे में तो प्रशासन को सोचना चाहिए था।

कोरोना संक्रमण के प्रति लापरवाही

अभी तेजी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है। इसके बावजूद कोरोना पर आस्था भारी पड़ती दिख रही है। एक तो सुबह से ही घाटों पर काफी भीड़ है ऊपर से प्रशासनिक स्तर पर कोरोना संक्रमण रोकने को लेकर किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। पानी में तेजी से कोरोना संक्रमण फैलता है, इसके बावजूद न तो श्रद्धालु गंभीर हैं और ना ही प्रशासन।

क्या हैं धार्मिक मान्यताएं
धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इससे देवता बहुत प्रसन्न हुए थे। तब भगवान विष्णु ने भोलेनाथ को त्रिपुरारी का नाम दिया था। ऐसा माना जाता है कि त्रिपुरासुर के वध होने की खुशी में सभी देवता स्वर्ग से उतरकर काशी में दीपावली मनाते हैं। 

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्‍नान करने का बहुत महत्व है। मान्‍यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्‍नान करने से पुण्‍य की प्राप्‍ति होती है। इस दिन सत्‍यनारायण भगवान की कथा पढ़ने, सुनने और सुनाने का भी बहुत महत्व है।

कार्तिक पूर्णिमा को प्रकाश उत्सव के रूप में भी मनाते हैं
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानकदेव जी महाराज का जन्म हुआ था। हिंदू और सिख कार्तिक पूर्णिमा को प्रकाश उत्सव के रूप में भी मनाते हैं। गुरुद्वारों में विशेष अरदास और लंगर आयोजित किया जाता है।