बिहार सरकार महिलाओं के रोजगार, गरीबी उन्मूलन एवं उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम, योजनाएं चला रही है। इससे उनकी आमदनी में लगातार इजाफा हो रहा है।
पंचायत, नगर निकायों में 50 फीसदी आरक्षण : 2006 से पंचायती राज संस्थानों एवं 2007 से नगर निकायों के चुनाव में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था हुई। प्राथमिक शिक्षक नियोजन में 50 प्रतिशत स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित है।
महिला बटालियन
पहली बार महिला बटालियन का गठन हुआ। सभी 40 पुलिस जिलों एवं 4 रेल पुलिस जिलों में एक-एक महिला थाना की स्थापना एवं इसके लिए विभिन्न कोटि के 647 पदों का सृजन किया गया। अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए स्वाभिमान बटालियन का गठन हुआ। पुलिस बल में सिपाही से अवर निरीक्षक तक के पदों पर सीधी नियुक्ति में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है। अब तक पुलिस बल में अनुशंसित 12,360 पदों के विरुद्ध कुल 3701 महिलाओं की नियुक्ति हुई है। इसमें 3672 महिला सिपाही तथा 29 चालक सिपाही हैं।
कौशल विकास
7 निश्चय में शामिल कौशल विकास गतिविधियों से जीविका समूह की महिलाएं जुड़कर अपने को हुनरमंद बना रही हैं। जीविका के समूह सदस्यों के प्रयास का परिणाम है-शराबबंदी। लोग, खुले में शौच से मुक्ति के लिए भी संकल्पित हो रहे हैं। जीविका कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक 88.16 लाख परिवारों को आच्छादित करते हुए महिलाओं के 8.15 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा चुका है। 50023 ग्राम संगठन एवं 820 क्लस्टर लेबल फेडरेशन कार्यरत हैं। अब तक 6.02 लाख स्वयं सहायता समूहों को बैंकों से संबद्ध किया गया है।
सरकारी नौकरियों में 35 फीसदी आरक्षण
राज्य की सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण, फरवरी 2016 से लागू हुआ। अभी राज्य के सभी सरकारी सेवाओं की नियुक्तियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है।
जीविका : सशक्तीकरण का सशक्त माध्यम
महिलाओं के विकास, सशक्तीकरण एवं गरीबी उन्मूलन के लिए जीविका सशक्त कार्यक्रम है। 2007 में बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन परियोजना (जीविका) शुरु हुई। यह सभी 534 प्रखंडों में लागू है। इसके अंतर्गत गरीबों के संस्थागत संगठनों का निर्माण कर जीविकोपार्जन के लिए वित्तीय सहयोग, सूक्ष्म ऋण तथा लेखा प्रबंधन के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। जीविका के प्रयासों का नतीजा है कि महिलाओं में निर्णय लेने की क्षमता का विकास हुआ और वे अपने शिक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों के प्रति सजग हुई हैं।